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गुरुवार, 14 जनवरी 2016

स्वस्थ कैसे रहें?

Swasth kaise rahe.

1. सुबह जल्दी उठो और 3- 4 मील (४- ६ किलोमीटर) रोज टहलो। संभव हो तो शाम को भी थोड़ाटहलो। 
2. टहलते समय नाक से लम्बी- लम्बी सांसें लो तथा यह भावना करो कि टहलने से आप अपने स्वास्थ्य को संवार रहे हैं। 
3. टहलने के अलावा, दौड़ना, साइकिल चलाना, घुड़सवारी, तैरना या कोई भी खेलकूद, व्यायाम के अच्छे उपाय हैं। स्त्रियां चक्की पीसना, बिलौना बिलोना, रस्सीकूदना, पानी भरना, झाड़ू- पोछालगाना आदि घर के कामों में भी अच्छा व्यायाम कर सकती हैं। रोज थोड़े समय छोटे बच्चों के साथ खेलना, 10- 15 मिनट खुलकर हंसना भी अच्छे व्यायाम के अंग हैं। 
4. प्रातः टहलने के बाद भूख अच्छी लगती है। इस समय पौष्टिक पदार्थों का सेवन करें। अंकुरित अन्न, भीगी मूंगफली, आंवला या इससे बना कोई पदार्थ, संतरा या मौसम्मी का रस अच्छे नाश्ता का अंग होते हैं। 
5. भोजन सादा करो एवं उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करो, शांत, प्रसन्न और निश्चिन्तता पूर्वक करो और उसे अच्छी तरह चबाचबा कर खाओ। खाते समय न बात करो और न हंसो। एकाग्र चित्त होकर भोजन करना चाहिए। 
6. भूख से कम खाओ अथवा आधा पेट खाओ, चौथाई पानी के लिए एवं चौथाई पेट हवा के लिए खाली छोड़ो। 
7. भोजन में रोज अंकुरित अन्न अवश्य शामिल करो। अंकुरित अन्न में पौष्टिकता एवं खनिज लवण गुणात्मक मात्रा में बढ़ जाते हैं। इनमें मूंग सर्वोत्तम है। चना, अंकुरित या भीगी मूंगफलीइसमें थोड़ी मेथी दाना एवं चुटकी भर- अजवायन मिला लें तो यह कई रोगों का प्रतिरोधक एवं प्रभावी ईलाज है। 
8. मौसम की ताजा हरी सब्जी और ताजे फल खूब खाओ। जितना हो सके कच्चे खाओ अन्यथा आधी उबली/ उबली तथा कम मिर्च- मसाले, खटाई की सब्जियां खाओ। एक ग्रास रोटी के साथ चार ग्रास सब्जी के अनुपात का प्रयास रखो। 
9. आटा चोकर समेत खाओ, सम्भव हो तो हाथ का पिसा हुआ खाओ। जौ, गेहूं, चना, सोयाबीन कामिस्सी रोटी का आटा सुपाच्य एवं पौष्टिक होता है। पौष्टिकता की दृष्टि से रोटी में हरी सब्जी, पालक, मेथी ,, बथुआ आदि पत्तीदार सब्जी मिलाकर बनायें / खायें। दलिया / खिचड़ी में भी पत्तीदार एवं हरी सब्जियाँ मिलाकर पौष्टिकता बढ़ाई जा सकती है। सब्जियों के सूप का नित्य सेवन पौष्टिक एवं हलके भोजन का अच्छा अंग हो सकता है। 
10. भोजन के साथ पानी कम से कम पीओ। दोपहर के भोजन के घंटे भर बाद पानी पियें ।। भोजन यदि कड़ा और रूखा हो तो 2- 4 घूंट पानी अवश्य पियें। 
11. प्रातः उठते ही खूब पानी पीओ। दोपहर भोजन के थोड़ी देर बाद छाछ और रात को सोने के पहले उष्ण दूध अमृत समान है। 
12. दिन में कम से कम दो लीटर पानी अवश्य पीओ। 
13. धूम्रपान, मादक पेय- पदार्थ (जरदा, गुटखा, सॉफ्ट ड्रिंक जैसे कोकाकोला, पेप्सी इत्यादि एवं शराब आदि )) सर्वथा छोड़ दो। 
14. चाय- कॉफी आदि के स्थान पर सादा ठंडा या गुनगुना पानी, नींबू पानी, छाछ, गाजर, पालक चुकन्दर, लौकी, टमाटर इत्यादि सब्जियों का एव मौसम्मी या संतरा, पपीता इत्यादि फलों के रस का उपयोग लाभकारी होता है। 
15. डाइबीटीज (शक्कर) के रोगी को शक्कर या उससे बने पदार्थों से पूर्ण परहेज करना चाहिए। फलों में अधिक मीठे फल का सेवन कम करें। फल के रस के बजाय फल खायें ।। 
16. दानामेथी और करेला डाइबीटीज की रामबाण दवा हैं। इनका रोज उपयोग करें। दानामेथी रोज 15/24 घंटे पानी में, जहां तक संभव हो सके मिट्टी के बर्तन में भिगोयें। दूसरे दिन सुबह नाश्ते के पहले या बाद में दानामेथी का पानी पी लें। दानामेथी अंकुरित कर सलाद में या नमक, नींबू लगाकरभी खा सकते हैं। सूखी दानामेथी या इसका चूरा लेने पर गर्मी कर सकती है। 
17. भोजन में स्वाद बढ़ाने वाली चीजें जैसे मिर्च, प्याज, लहसुन, खटाई इत्यादि का प्रयोग कम से कम करें, हो सके तो छोड़ दें। 
18. रोज शाम निवृत्त हो जाने के बाद, दिनभर में अपने पुरूषार्थ से किये काम- काजों की सफलता अथवा असफलता प्रभु को समर्पित कर, निश्चिंत होकर, जल्दी सोंये ताकि सुबह भोर में उठ सकें ।।

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